Friday, June 27, 2008

अँधेरी रात का सूरज | अपकमिंग काव्य कृति - राकेश खण्डेलवाल


अँधेरी रात का सूरज
काव्य कृति - राकेश खण्डेलवाल
पुस्तक जुलाई में इंदौर से प्रकाशित हो रही है..
आवरण डिजाइन करने का सौभाग्य हमें मिल गया है..
जिसके लिये अपनी एक कलाकृति चुनी है.
आप सभी से बाँट रहे हैं...आप के सुझावों का स्वागत है.

9 comments:

Anonymous said...

Rakeshji badhai ho.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बेहतरीन बना है आवरण विज !!
- राकेश जी को और तुम्हेँ ढेरोँ बधाई -
स स्नेह,
-- लावण्या

रंजू भाटिया said...

वाह बहुत सुन कर खुशी हुई ..बढिया है ...बधाई हो

राकेश जैन said...

sateek hai avaran, main janna chahunga agar main bhi apni kririyan prakashit karwana chahun to mujhe kya karna hoga, agar aap is vishay par madad kar sakte hain to kripya reply zurur karen, 29.rakesh2gmail.com

राकेश खंडेलवाल said...

विज भाई

आपकी कलाकॄतियों की श्रेष्ठता ने ही इस पुस्तक में निम्न लिखित पंक्तियां मेरी कलम से लिखवाईं हैं

"माँ शारदा की वीणा को रंगों की तूलिका में परिवर्तित करने वाले कुशल चितेरे श्री विजेन्द्र " विज ". का अनुग्रह मेरा प्रेरणा स्रोत रहा है."<

Udan Tashtari said...

बहुत ही बेहतरीन-मजा आ गया. अब विज, हमारे लिए भी आप ही बनाओ. इतना बेहतरीन बनायेंगे तो किसी का भी मन ललच जायेगा. :) बहुत बधाई.

Pratyaksha said...

rakeshji ..bahut badhai
vij aavaran shaandaar hai ...

अमिताभ मीत said...

राकेश जी क बहुत बहुत बधाइयां. बड़ी खुशी की बात है ये तो. शुभकामनाएं.

श्रद्धा जैन said...

Rakesh ji bhaut bhaut badhayi

Vij ji aapki kala bahut pasand aayi
bhaut bhaut sunder