हिन्दी का भविष्य और भविष्य की हिन्दी
जयजयवंती साहित्य-संगोष्ठी / सातवीं कड़ी
टीवी न्यूज़ में भाषा और यूनिकोड
मुख्य अतिथि
डॉ. अशोक वालिया (मंत्री, दिल्ली सरकार)
अध्यक्ष
डॉ. इंद्र नाथ चौधरी
सम्मान
वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रभाष जोशी को
'जयजयवंती सम्मान' एवं हिन्दी सॉफ़्टवेयर 'सुविधा' सज्जित लैपटॉप
वक्तव्य (न्यूज़)
प्रोफेसर सुधीश पचौरी
वक्तव्य (यूनिकोड)
श्री पंकज राय
काव्य-पाठ
अशोक चक्रधर एंड कंपनी
आप सादर आमंत्रित हैं।
अशोक चक्रधर
(संयोजन)
अध्यक्ष, जयजयवंती
26949494, 26941616
राकेश पांडेय
(व्यवस्था)
संपादक, प्रवासी संसार
9810180765
पद्मश्री वीरेन्द्र प्रभाकर
(सहयोग)
मंत्री, चित्र कला संगम
23384760
सायं 6.30 बजे / 24 मार्च 2008 / सोमवार
गुलमोहर सभागार, इंडिया हैबीटैट सैंटर, लोदी रोड, नई दिल्ली
आतिथ्य-सौजन्य
श्री गंगाधर जसवानी
जयजयवंती साहित्य-संगोष्ठी / सातवीं कड़ी
टीवी न्यूज़ में भाषा और यूनिकोड
मुख्य अतिथि
डॉ. अशोक वालिया (मंत्री, दिल्ली सरकार)
अध्यक्ष
डॉ. इंद्र नाथ चौधरी
सम्मान
वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रभाष जोशी को
'जयजयवंती सम्मान' एवं हिन्दी सॉफ़्टवेयर 'सुविधा' सज्जित लैपटॉप
वक्तव्य (न्यूज़)
प्रोफेसर सुधीश पचौरी
वक्तव्य (यूनिकोड)
श्री पंकज राय
काव्य-पाठ
अशोक चक्रधर एंड कंपनी
आप सादर आमंत्रित हैं।
अशोक चक्रधर
(संयोजन)
अध्यक्ष, जयजयवंती
26949494, 26941616
राकेश पांडेय
(व्यवस्था)
संपादक, प्रवासी संसार
9810180765
पद्मश्री वीरेन्द्र प्रभाकर
(सहयोग)
मंत्री, चित्र कला संगम
23384760
सायं 6.30 बजे / 24 मार्च 2008 / सोमवार
गुलमोहर सभागार, इंडिया हैबीटैट सैंटर, लोदी रोड, नई दिल्ली
आतिथ्य-सौजन्य
श्री गंगाधर जसवानी
3 comments:
आज ही ईमेल से यह जानकारी प्राप्त हुई. यहाँ प्रेषित करने का आभार.
baaki to sab theek hai, ye Ashok ji tak bhi shai hai, magar " & company" kuchh samajh nahi aataa....vij sahab.
renu.
महज़ अलफाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता
कोई पेशा ,कोई व्यवसाय नही है कविता ।
कविता शौक से भी लिखने का नहीं
इतनी सस्ती भी नहीं , इतनी बेदाम भी नहीं ।
कविता इंसान के ह्रदय का उच्छ्वास है,
मन की भीनी उमंग , मानवीय अहसास है ।
महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नही हैं कविता
कोई पेशा , कोई व्यवसाय नहीं है कविता ॥
कभी भी कविता विषय की मोहताज़ नहीं
नयन नीर है कविता, राग -साज़ भी नहीं ।
कभी कविता किसी अल्हड योवन का नाज़ है
कभी दुःख से भरी ह्रदय की आवाज है
कभी धड़कन तो कभी लहू की रवानी है
कभी रोटी की , कभी भूख की कहानी ही ।
महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नहीं ही कविता,
कोई पेशा , कोई व्यवसाय नहीं ही कविता ॥
मुफलिस ज़िस्म का उघडा बदन ही कभी
बेकफान लाश पर चदता हुआ कफ़न ही कभी ।
बेबस इन्स्सन का भीगा हुआ नयन ही कभी,
सर्दीली रत में ठिठुरता हुआ तन ही कभी ।
कविता बहती हुई आंखों में चिपका पीप ही,
कविता दूर नहीं कहीं, इंसान के समीप हैं ।
महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नहीं ही कविता,
कोई पेशा, कोई व्यवसाय नहीं ही कविता ॥
( उपरोक्त कविता काव्य संकलन falakdipti से ली गई है )
Kavi Deepak Sharma
http://www.kavideepaksharma.co.in
http://www.kavideepaksharma.blogspot.com
Post a Comment