Wednesday, March 29, 2006

जुगनुओ अब तुम सितारे हो गये

तना गहरा सन्नाटा
बडा ही भीषण
और डरावना
कहाँ गये सब....

अब यहाँ
चिडियो का कलरव
भी नही गूँज रहा
आसमान भी इतना
शांत क्यूँ है...

कहाँ गुम हो गयी
सूरज की तेज़ गर्मी
और,
बाद्लो की
उमड घुमड....

अब वे
यहाँ क्यू नही आते
क्या पथिक अपना
रास्ता भूल गये
या फिर,
जुगनुओ!!! अब तुम सितारे हो गये...

1 comment:

Pratyaksha said...

अभी ब्लॉग देखा विज. अच्छी शुरुआत.
अब कुछ नया हो जाये :-)