Thursday, September 20, 2007

गजल बीती-एक शाम मुनव्वर राणा के नाम


शाम मुनव्वर राणा साहेब के नाम..
23 सितम्बर 2007, क़ृभको आडिटोरियम,
-10, नोयडा, समय शाम 6 बजे.
आप सभी सादर आमंन्त्रित हैं.


3 comments:

Udan Tashtari said...

काश!! हम पहुँच पाते. रिकार्ड जरुर कर लिजियेगा हमारे लिये.

Sanjeet Tripathi said...

वाकई अगर आप रिकार्डिंग कर सुना सकें तो आभारी होंगे हम आपके!!

sanjay patel said...

मेरा आदाब ज़रूर कह दीजियेगा मुनव्वर भाई को .
पिछले महीने ही इन्दौर में अपने एक नये मजमुए फ़िर कबीर के इजरा में तशरीफ़ लाए थे तब मुलाक़ात न हो पाई. उनके होने से मेज़बान महफ़िल की शर्तिया क़ामयाब अपनी जेब में सुरक्षित रख सकता है. वे जितने बड़े शायर हैं उससे बड़े इन्सान हैं.उनके परिदृष्य पर होने से काव्य की पवित्रता बनी रहती है. वे मित्रता को निभाने वाले अदभुत शख्सियत हैं.आपके आयोजन के लिये दिल से दुआएँ.हो सके तो आयोजन की रिपोर्ट भी जारी करियेगा अपने चिट्ठे पर.