इतनी रंग बिरंगी दुनिया,
दो आंखो मे कैसे आये..
हमसे पूछो, इतने अनुभव
दो आंखो मे कैसे आये..
हमसे पूछो, इतने अनुभव
एक कंठ से, कैसे गाये.....
...तब इक पगली लडकी के बिन
जीना गद्दारी लगता है...
...तब इक पगली लडकी के बिन
जीना गद्दारी लगता है...
डा. कुमार विश्वास, नई पीढी के पसन्दीदा कवि और गीतकार हैँ..इनका नाम किसी परिचय का मोहताज नही है...अभी हाल ही मे ही उनका एक कविता संग्रह “कोई दीवाना कहता है” हिन्द प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुआ था..और अब पुन: उनका दूसरा एक संग्रह “इक पगली लडकी के बिन” रवि प्रकाशन ने प्रकाशित किया है...दोनो किताबो के कवर पृष्ठ मेरे द्वारा डिजाइन किये गये है.. जिन्हे यहाँ आप देख सकते है.. कविता संग्रह बाजार मे आसानी से उपलब्ध है...
6 comments:
बहुत सुन्दर डिजाइन किया है आपने बधाई. कुमार साः का तो खैर कोई जबाब नहीं. हमारी शुभकामनायें दिजियेगा.
हमारे पास तो दोनों किताब नहीं. ;(
कुमार विश्वास को मैने सुना है और पढ़ा भी है अच्छा गाते है और लिखते भी है...मगर विजेन्द्र भाई आपकी बेहतरीन कला यहाँ भी चार चाँद लगा ही गई आखिर...बहुत-बहुत बधाई...
शानू
हो सके तो कुमार जी को मेरी याद दिलाएं।
उनसे कहें कि बोधिसत्व ने उन्हे याद किया है।उन्हें मेरी बधाइय़ाँ भी दें।
इसमें कोई संदेह नहीं कि एक उम्दा रचनाकार हैं श्री कुमार विश्वास . शब्द और बिंब में ग़ज़ब का तालमेल.
उपरवाला ऐसी प्रतिभा विरले को ही देता है. आपकी प्रस्तुति भी कम प्रशंसनिए नही है. बधाईयाँ ....../
bhai aap ko dr saahab key madhyaam sey nayi pahachan milegi in dono cover sey
bhadhai
i cant read, but very colourful and well laid out blog.
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