इतना गहरा सन्नाटा
बडा ही भीषण
और डरावना
कहाँ गये सब....
अब यहाँ
चिडियो का कलरव
भी नही गूँज रहा
आसमान भी इतना
शांत क्यूँ है...
कहाँ गुम हो गयी
सूरज की तेज़ गर्मी
और,
बाद्लो की
उमड घुमड....
अब वे
यहाँ क्यू नही आते
क्या पथिक अपना
रास्ता भूल गये
या फिर,
जुगनुओ!!! अब तुम सितारे हो गये...