Wednesday, December 17, 2008

ब्लॉग-पाठ : एक सिलसिला



16वीं जयजयवंती साहित्य-संगोष्ठी

हिन्दी का भविष्य और भविष्य की हिन्दी

ब्लॉग-पाठ : एक सिलसिला

मुख्य अतिथि : डॉ. प्रभा ठाकुर, वरिष्ठ कवयित्री एवं सांसद

अध्यक्ष : डॉ. रामशरण जोशी, उपाध्यक्ष, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान

सम्मान :
वरिष्ठ भाषाविद् प्रो। सूरज भान सिंह को
'जयजयवंती सम्मान'
एवं उनके कम्प्यूटर पर हिन्दी सॉफ्टवेयर 'सुविधा'

प्रस्तावना
: डॉ. विजय कुमार मल्होत्रा, कम्प्यूटरकर्मी भाषाविद्

ब्लॉग-पाठ :
श्रीमती प्रत्यक्षा,
डॉ. आलोक पुराणिक,
श्री रवीश कुमार,
श्री अविनाश वाचस्पति
एवं श्रीमती संगीता मनराल
आप सादर आमंत्रित हैं।

अशोक चक्रधर

अध्यक्ष, जयजयवंती

(संयोजन)

9811013621, 26941616

राकेश पांडेय

संपादक, प्रवासी संसार

(व्यवस्था)

9810180765
24 दिसम्बर 2008 / बुधवार

सायं 6.30 से चाय-कॉफी / 6.50 कार्यक्रम आरंभ

गुलमोहर सभागार, इंडिया हैबीटैट सैंटर, लोदी रोड, नई दिल्ली
संरक्षक : श्री गंगाधर जसवानी एवं पद्मश्री वीरेन्द्र प्रभाकर (मंत्री, चित्र कला संगम)

Thursday, December 11, 2008

एक नयी कलाकृति | लाईट्स ...कैमरा...एक्शन...कट..ट्..ट्..ट्



लाईट्स ...कैमरा...एक्शन...कट..ट्..ट्..ट्
20x30 इंच, एक्रेलिक आन कैनवास
वर्ष - 2008

Wednesday, December 10, 2008

हाइकु दिवस समारोह -२००८

दुनिया में सबसे अधिक चर्चित एवं आकार की दृष्टि से सर्वाधिक छोटी मात्र १७ अक्षर की कविता 'हाइकु` पर केन्द्रित 'हाइकु दिवस` का आयोजन साहित्य अकादमी नई दिल्ली के सभागार में ०४ दिसम्बर को किया गया। रवीन्द्र नाथ टैगोर और उनके बाद अज्ञेय जी ने अपनी जापान यात्राओं से वापस आते समय जापानी हाइकु कविताओं से प्रभावित होकर उनके अनुवाद किए जिनके माध्यम से भारतीय हिन्दी पाठक 'हाइकु` के नाम से परिचित हुए। इसके बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में जापानी भाषा के पहले प्रोफेसर डॉ० सत्यभूषण वर्मा(०४-१२-१९३२ ....... १३-१२-२००५) ने जापानी हाइकु कविताओं का सीधा हिन्दी में अनुवाद करके भारत में उनका प्रचार-प्रसार किया। इससे पूर्व हाइकु कविताओं के जो अनुवाद आ रहे थे वे अंगे्रजी के माध्यम से हिन्दी में आ रहे थे प्रो० वर्मा ने जापानी हाइकु से सीधा हिन्दी अनुवाद करके भारत मे उसका प्रचार-प्रसार किया। परिणामत: आज भारत में हिन्दी हाइकु कविता लोकप्रिय होती जा रही है। अब तक लगभग ४०० से अधिक हिन्दी हाइकु कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं और निरन्तर प्रकाशित हो है। प्रो० सत्यभूषण वर्मा के जन्म दिन ४ दिसम्बर कैं हाइकु दिवस के रूप मे मनाने का प्रारम्भ हाइकु कविता की पत्रिका `हाइकु दर्पण' ने २००६ से गाजियाबाद से किया। हाइकु दर्पण के संपादक डॉ० जगदीश व्योम, कमलेश भट्ट कमल एवं डॉ० अंजली देवधर द्वारा हिन्दी हाइकु कविता की गुणवत्ता में सुधार हेतु निरन्तर प्रयास किए जा रहे है। इसी श्रृंखला में यह आयोजन किया गया। हाइकु दिवस समारोह के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ० प्रभाकर श्रोत्रिय ने दीप प्रज्ज्वलन कर समारोह का शुभारम्भ किया। मुख्य अतिथि श्री विजय किशोर मानव (संपादक कादम्बिनी) ने कहा कि हाइकु कविता मन की अतल गहराईयों कैं प्रभावित कर सके ऐसा प्रयास करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि आकाशवाणी के केन्द्र निदेशक लक्ष्मीशंकर वाजपेई ने कहा कि हाइकु मन की अनुभूति की कम शब्दों में व्यक्त करने का सर्वाधिक सशक्त माध्यम है। उन्होंने अपनी आकाशवाणी की गोष्ठियों में हाइकु पाठ के लिए भी हाइकुकारों कैं आमंत्रित किए जाने की योजना विषयक जानकारी दी तथा डोगंरी भाषा मे लिखी जा रही हाइकु कविताओं की चर्चा की। विशिष्ट अतिथि डॉ० अंजली देवधर ने अंग्रेजी एवं अन्य भाषाओं में लिखे जाने वाली हाइकु कविताओं की चर्चा करते हुए दुनिया के तमाम देशों में आयोजित हाइकु संगोष्ठियों में भारतीय हाइकु व हिन्दी हाइकु की उपस्थिति व मान्यता विषयक जानकारी देते हुए बताया कि बंगलोर में आयोजित अंग्रेजी भाषा के विश्व हाइकु सम्मेलन में पहली बार हाइकु दर्पण के संपादक को हिन्दी में हाइकु की स्थिति पर शोधपत्र प्रस्तुत करने हेतु आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रभाकर श्रोत्रिय ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि शब्द जैसे-जैसे कम होते जाते है कविता सघन होकर और प्रभावशाली होती जाती है। हाइकु में कम शब्द होते है वहाँ किसी निरर्थक शब्द या अक्षर की गुंजाइश नहीं है इसीलिए एक अच्छा हाइकु बहुत प्रभावशाली होता है। हाइकु दर्पण पत्रिका के संपादक एवं हाइकु दिवस समारोह के संयोजक डॉ० जगदीश व्योम ने विश्व स्तर पर हिन्दी हाइकु की स्थिति की जानकारी दी। इण्टरनेट पर हिन्दी हाइकु के विषय में बताते हुए डा० व्योम ने कहा कि हिन्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय वेबसाइट- अनुभूति एवं अभिव्यक्ति की संपादक पूर्णिमा वर्मन (यू।ए.ई.) ने हाइकु माह जैसे आयोजन किया तथा हाइकु की कार्यशाला आयोजित की और प्रतिदिन एक चुनिन्दा हाइकु चित्र सहित वेबसाइट पर प्रकाशित किया जिन्हें हजारों वेब पाठकों ने प्रतिदिन पढ़ा और सराहा। हिन्दी की अनेक वेबसाइट्स हैं जिन पर हाइकु कविताएँ निरंतर प्रकाशित की जा रही है? कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रसिद्ध हाइकुकार एवं साहित्यकार कमलेशभट्ट कमल ने हाइकु लेखन पर समग्र दृष्टि डालते हुए बताया कि आज के व्यस्ततम समय में मन के अनुभावों को व्यक्त करने के लिए अधिक समय किसी के पास नहीं है ऐसे में हाइकु कविता सर्वाधिक उपयोगी तथा समसामयिक है। प्रो० वर्मा के साथ हमेशा से जुड़े रहे कमलेश भट्ट कमल ने हिन्दी हाइकु यात्रा विषयक विस्तृत जानकारी दी तथा हाइकु १९८९, हाइकु १९९९ जैसे ऐतिहासिक संकलनों के संपादन के बाद प्रस्तावित हाइकु २००९ के संपादन विषयक जानकारी देते हुए हाइकुकारों से हाइकु भेजने हेतु कहा। ओमप्रकाश चतुर्वेदी पराग ने हाइकु कविता को ५-७-५ अक्षरक्रम में मात्र १७ अक्षर तक सीमित रखने विषयक अनुशासन पर प्रश्न उठाया। इस अवसर पर प्रो० सत्यभूण वर्मा की जीवन संगिनी श्रीमती सुरक्षा वर्मा की गरिमामय उपस्थित समारोह का आकर्षण रही। डा० अंजली देवधर को विभिन्न देशों व भाषाओं में हिन्दी हाइकु का प्रचार-प्रसार करने तथा श्रीमती सुरक्षा वर्मा को प्रो० सत्यभूषण वर्मा द्वारा छोडी गई हाइकु यात्रा को निरन्तर आगे बढाने की दिशा में सतत सहयोग देने के लिए समारोह के अध्यक्ष प्रभाकर श्रोत्रिय तथा मुख्यअतिथि कादम्बिनी के संपादक विजय किशोर मानव द्वारा शाल उढाकर सम्मानित किया गया। समारोह में हाइकुकारों ने हाइकु कविताओं का पाठ कर जनसमूह को प्रभावित किया। हाइकु पाठ करने वालों में सर्वश्री- डॉ० कुअँर बेचैन, डॉ० सरिता शर्मा, पवन जैन(लखनऊ), अरविन्द कुमार, लक्ष्मीशंकर वाजपेई, ओम प्रकाश चतुर्वेदी पराग, कमलेश भट्ट कमल, डॉ० जगदीश व्योम, सुजाता शिवेन(उड़िया कवयित्री), ममता किरण वाजपेई, प्रदीप गर्ग आदि प्रमुख थे।हाइकु दिवस समारोह में सुप्रसिद्ध साहित्यकार से.रा.यात्री, सुप्रसिद्ध गजलकार ज्ञान प्रकाश विवेक, इंडिया न्यूज पत्रिका के सहायक संपादक अशोक मिश्र, बी. एल. गौड़, साहित्यकार डॉ० अरुण प्रकाश ढौंढ़ियाल, हरेराम समीप, अमरनाथ अमर, डॉ० तारा गुप्ता, श्रीमती ज्योति श्रोत्रिय, ब्रजमोहन मुदगल, एस.एस.मावई, श्रीमती मावई, श्रीमती अलका यादव, शिवशंकर सिंह, सुधीर, प्रत्यूष, ममता किरन, मृत्युंजय साधक, नीरजा चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे। अन्त में धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ० जगदीश व्योम ने किया।

Saturday, November 22, 2008

'कृत्या , एक जर्नी ' - एक फिल्म की कोशिश



'कृत्या , एक जर्नी ' , डी.वी. फ़िल्म , समय सीमा - १० मिनट

यह फिल्म कृत्या अंतर्राष्ट्रीय पोयट्री फेस्टिवल में दिखाई गयी फेस्टिवल १४-१६ नवम्बर तक था , जिसमे देश विदेश के तमाम लेखकों, कवियों , चित्रकारों ने शिरकत ली॥ हम भी इस समारोह का हिस्सा बने प्रोग्राम पंजाब आर्ट काउंसिल चंडीगढ़ में डॉ. रति सक्सेना ( सम्पादक-www.kritya.in) के दिशा निर्देशन में संपन्न हुआ हुआ अधिक जानकारी जल्द ही विस्तृत रपट आने पर www.kritya.in में पढा जा सकता है
धन्यवाद।

Tuesday, November 11, 2008

कला नुमाइश| समकालीन आर्टिस्टस आफ इंडिया - 14th नवम्बर २००८-17th नवम्बर


कला नुमाइश ,
समकालीन आर्टिस्ट आफ इंडिया
कृत्या इंटरनेशनल फेस्टिवल आफ पोयट्री एंड आर्ट
पंजाब आर्ट काउंसिल, चंडीगढ़ , भारत
14th नवम्बर २००८-17th नवम्बर

Friday, October 24, 2008

दीपावली की शुभकामनाएं



आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं ॥

कृत्या इंटरनेशनल फेस्टिवल आफ पोएट्री एंड आर्ट, पंजाब आर्ट काउंसिल, चंडीगढ़


कृत्या इंटरनेशनल फेस्टिवल आफ पोएट्री एंड आर्ट
14th -16th नवम्बर २००८
पंजाब आर्ट काउंसिल, चंडीगढ़
अधिक जानकारी के लिए देखें..
http://kritya.in/Kritya2008/kritya2008-Homepage.html

Monday, August 25, 2008

उस्ताद की याद में



टाइटल : उस्ताद की याद में
24x24 इंच | डिजिटल आन पेपर
सन -२००८, अगस्त

Thursday, August 14, 2008

Friday, June 27, 2008

अँधेरी रात का सूरज | अपकमिंग काव्य कृति - राकेश खण्डेलवाल


अँधेरी रात का सूरज
काव्य कृति - राकेश खण्डेलवाल
पुस्तक जुलाई में इंदौर से प्रकाशित हो रही है..
आवरण डिजाइन करने का सौभाग्य हमें मिल गया है..
जिसके लिये अपनी एक कलाकृति चुनी है.
आप सभी से बाँट रहे हैं...आप के सुझावों का स्वागत है.

Friday, April 18, 2008

एक शाम डॉ. अशोक चक्रधर के नाम




डॉ. अशोक चक्रधर जी का एकल काव्य-पाठ
शनिवार 19 अप्रैल 2008 को साय: 6:30 बजे सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम न। तीन
कार्यक्रम का निमंत्रण यही है

Wednesday, April 16, 2008

यह कलाकृति डा. अशोक चक्रधर ने बनायी है


अनटाइट्ल्ड
डा.अशोक चक्रधर
18x24, इन्च, एक्रिलिक आन कैनवास्

अभी हाल ही मे उनसे मुलाकात हुई..उन्होने अपने जन्मदिन पर एक कलाकृति बनायी है..वाकई एक मास्टर पीस.. कलाकृति प्रवासी सन्सार का आवरण बनी है..इसकी खूबसूरती का अन्दाजा इसके जबर्जस्त स्ट्रोक्स, सबजेक्ट और पावरफुल कम्पोजिसन , कलर देख कर लगाया जा सकता है...
मैं शब्दों में बखान करूँगा तो बेइमानी होगी.

Tuesday, March 18, 2008

जयजयवंती साहित्य-संगोष्ठी / सातवीं कड़ी

हिन्दी का भविष्य और भविष्य की हिन्दी
जयजयवंती साहित्य-संगोष्ठी / सातवीं कड़ी
टीवी न्यूज़ में भाषा और यूनिकोड


मुख्य अतिथि
डॉ. अशोक वालिया (मंत्री, दिल्ली सरकार)

अध्यक्ष
डॉ. इंद्र नाथ चौधरी

सम्मान
वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रभाष जोशी को
'जयजयवंती सम्मान' एवं हिन्दी सॉफ़्टवेयर 'सुविधा' सज्जित लैपटॉप

वक्तव्य (न्यूज़)
प्रोफेसर सुधीश पचौरी

वक्तव्य (यूनिकोड)
श्री पंकज राय

काव्य-पाठ
अशोक चक्रधर एंड कंपनी

आप सादर आमंत्रित हैं।


अशोक चक्रधर
(संयोजन)
अध्यक्ष, जयजयवंती
26949494, 26941616

राकेश पांडेय
(व्यवस्था)
संपादक, प्रवासी संसार
9810180765

पद्मश्री वीरेन्द्र प्रभाकर
(सहयोग)
मंत्री, चित्र कला संगम
23384760


सायं 6.30 बजे / 24 मार्च 2008 / सोमवार
गुलमोहर सभागार, इंडिया हैबीटैट सैंटर, लोदी रोड, नई दिल्ली

आतिथ्य-सौजन्य
श्री गंगाधर जसवानी

Saturday, March 01, 2008

शब्द तुम..?


शब्द तुम
कहाँ चले गये...

पता ही नहीं चला
आधी रात के बाद
कहाँ गायब हो गये...

जाने कौन से दरवाजे
तुम्हारे लिये खुलते हैं...
और,
जाने किस घर मे
अब तुम दस्तक देते हो...
तरह- तरह के स्वांग
रचाने लगे हो...
कब तक यूँ ही,
छलते रहोगे मुझे तुम...
अब तो मै,
तुम्हारी हम उम्र का हो गया हूँ...

-विज

दिव्या पांडे-एकल शो






दिव्या पांडे-एकल शो
ललित कला अकादमी-मंडी हाउस
मार्च-5 से 11, 2008 तक, समय 10 से 6
देखना ना भूलें
स्वागत है...

Thursday, February 14, 2008

ताज महोत्सव-2008

ताज महोत्सव, 2008



18th-27th, Feb, 2008, आगरा.
अधिक जानकारी के लिये यह वीडियो देखें.
या फिर वेबसाइट पर जायें.
www.tajmahotsav.in

Tuesday, January 15, 2008

शाम-ए-वतन-एक शाम पंकज उधास के नाम्



गज़ल और शायरी के दीवानों के लिये
एक शाम वतन के नाम ...
शाम-ए-गज़ल को सवांर रहे हैं
पंकज उधास
और
शाम-ए-शायरी को सवांर रहे हैं
जनाब राहत इन्दौरी
जनाब निदा फाज़ली
जनाब मुनव्वर राना साहेब
मंच संचालन
डा कुमार विश्वास
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जहग है
सीरी फोर्ट आडीटोरियम
अगस्त क्रांती मार्ग, खेलगांव, नई दिल्ली -49
और समय है
सांय 6 बजे , 19 जनवरी 2008
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अधिक जानकारी नीचे दिये पते पर ..
http://onest.in/watan
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